मुख निरीह प्राणियों पर अत्याचार रोकने का सामूहिक प्रयास करें| इन पशुओं पर अत्याचार के कारण ही प्राकृतिक आपदाएं आती हैं, क्योंकि प्रगति निरीह पशुओं की पीड़ा से अवगत हो जाती है, अत: मूक पशुओं की रक्षा का संकल्प ले कर दी दया के क्षेत्र में कार्य करें| गाय बैलों को कत्लखाने जाने से रोकने का प्रयास करें | पशु हमारे परिवार के अंग है, उनकी रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है
सब की माँ हूँ मैं, सुन लो मेरे मन की बात । मुझे मत मरने दो,रखलो मेरे दूध की लाज । अपनी माँ पर बस इतना सा कर दो उपकार । मांस मेरा नहीं कीमती, दूध-दही से बलवान बनाती, गोबर धरती करती उपजाऊ, मेरा जीवन सबको अर्पित । मुझे बचा लो मेरे भाई, मैं हूं आपकी प्यारी गाय ।
बेसहारा, बूढ़े, अपंग, चोटग्रस्त, रोगग्रस्त, कसाइयों से छुड़ाए गए गोवंश का गौशालाओं में संरक्षण एवं संवर्धन करना
आश्रय स्थल, भूसा भंडार गृह, दवाई एवं पानी का समुचित प्रबंध करना
आर्थिक एवं कानूनी सहायता प्राप्त कर कसाइयों से मुक्त करा कर पशुओं को गौशाला में दूसरा देना उनकी सेवा करना
गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्ति या संस्था को “दयोदय अहिंसा रत्न” की उपाधि से प्रतिवर्ष विभूषित करना
जीव दया के प्रणेता 108 आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर जी महामुनि राज ने गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन का शंखनाद कर अहिंसा प्रेमी समाज को प्रेरणा देकर आशीर्वाद दिया है यदि श्री आचार्य विद्यासागर जी का आशीर्वाद नहीं होता तो दयोदय श्रंखला की अनेकों गौशालाएं नहीं खुल पाती एवं बूढ़ी अपंग बेसहारा गायों की सेवा कभी नहीं हो पाती
दयोदय की संख्या में 100 से अधिक गौशाला संचालित हैं मध्यप्रदेश में 63 राजस्थान में 28 दिल्ली में एवं छत्तीसगढ़ में दो उत्तर प्रदेश में दो महाराष्ट्र में तीन गुजरात हरियाणा एवं तमिलनाडु में एक-एक गौशालाएं कार्यरत हैं
इन सभी गौशालाओं में अपंग बूढ़ी अशक्त कसाइयों से छुड़ाए गया गोवंश को आश्रय मिला है अभयदान मिला है इस प्रकार महासंघ गोवंश की रक्षा के लिए कृतसंकल्पित हैं हमारा लक्ष्य है कि हम अधिक से अधिक गोवंश को बस से बचाएं और उनका पालन पोषण निस्वार्थ भाव से करें
लगभग 65000 बेसहारा बूढ़ी अपंग रोग ग्रस्त एवं चोटग्रस्त कसाइयों से छुड़ाए गए गोवंश का संरक्षण एवं संवर्धन गौशाला में किया जा रहा है जिस पर समाज के दानदाताओं द्वारा लगभग 1000000 रुपए प्रतिदिन उन पर खर्च किया जा रहा है